श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स- श्री राम स्तुति अर्थ सहित 2024

 नमस्कार राम भक्तों आज हम आपको श्री रामचंद्र कृपालु भजमन लिरिक्स के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करने वाले हैं श्री रामचंद्र कृपालु भजमन श्री राम की स्तुति हैं जिसको गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखा गया था

इसकी रचना 16वीं शताब्दी में संस्कृत और अवधि भाषा के मिश्रण से हुआ था श्री राम स्तुति को विनय पत्रिका में पद्य संख्या 45 पर लिखा गया था. इस प्रार्थना में भगवान श्री राम की महिमा बताई गई है

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इस पद के माध्यम से भगवान श्री राम के शौर्य एवं पराक्रम का वर्णन किया गया है साथ ही उनके शारीरिक सौंदर्य का वर्णन इसके माध्यम से किया गया है

श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स

श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स

  • श्री राम चंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं। नवकंज लोचन, कंजमुख कर कंजपद कंजारुणं
  • श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकै: । तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं जन: को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥  

कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे। गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥

न मोक्षस्याकाड़्क्षा भवविभववाण्छापि च न मे न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुन: । अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपत: ॥  

गुह्यातिगुह्यगोप्नी त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्। सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥

आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि । नैतच्छठत्वं मम भावयेथा: क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥ 

जगदम्ब विचित्रमत्र किं परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि । अपराधपरम्परावृतं न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥

चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति: । कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥  

नाराधितासि विधिना विविधोपचारै: किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभि: । श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव

श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स के लाभ

अगर आप श्री रामचंद्र कृपालु भजमन लिरिक्स का अपने घर में पाठ करते हैं तो आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा गायब हो जाती है क्योंकि जहां पर श्री रामचंद्र के कीर्तन भजन और यश गया जाता है वहां पर नकारात्मक ऊर्जा निवास नहीं कर सकती हैं

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श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स के लाभ

भगवान श्री राम के कीर्तन भजन करने से सभी देवताओं की कृपा आपके घर में बनी रहती है और आपके किसी भी कार्य में अर्चन नहीं आती है अगर आप प्रतिदिन अपने घर में यह पूजा पाठ करते हैं

तो किसी भी नकारात्मक ऊर्जा या फिर बुरी शक्ति का प्रभाव आपके घर में कभी नहीं पड़ेगा प्रतिदिन भगवान श्री राम के भक्ति भजन करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं

श्री राम के नाम के माध्यम से आप दुनिया के किसी भी असंभव कार्य को भी संभव कर सकते हैं अगर आप निरंतर भगवान श्री राम का नाम जप एवं भजन करते हैं

तो आपके जीवन में ऐसे बदलाव होने लगेंगे कि आप देख कर आश्चर्य चिकित्स हो जाएंगे  राम के नाम के माध्यम से आप दुनिया में नाम यश धन सब कुछ की प्राप्ति कर सकते हैं

श्री राम चंद्र कृपालु भजु मन का अर्थ

भगवान श्री रामचंद्र सभी पर दया करते हैं वह कभी किसी को निरसा वह नहीं करते हैं भगवान श्री रामचंद्र की कृपा उन सभी व्यक्तियों के ऊपर पड़ती है जो उनका वजन करता है

अगर व्यक्ति निरंतर रामचंद्र जी का भजन करता है तो वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और श्री रामचंद्र जी की शरण में चला जाता है

श्री राम चंद्र कृपालु भजु मन का अर्थ

इस श्लोक में श्री रामचंद्र जी के नयन कमल के पुष्प के समान बताए गए हैं और उनका हाथ और मुख भी लाल कमल के समान बताया गया है

उनके रूप का वर्णन करते हुए कहा गया है कि उनका रूप इतना मनमोहक है कि उसमें असंख्य कामदेवता समा जाए उनके शरीर को नीले बादलों के समान बताया गया है

उनके शरीर में बिजली जैसी चमक बताई गई हैं और कहा गया है कि यह जनक पुत्री सीता के प्रियवर हैं

इसके साथ ही उनके मस्तक के मुकुट और कानों के कुंडल के साथ ही माथे पर लगाए गए तिलक के बारे में भी चर्चा की गई है उनके पूरे शरीर में हीरे मोती और रत्न जड़े हुए हैं

उन्होंने अपने दोनों भुजाओं में एक विशाल धनुष को धारण किया हुआ है यह वर्णन रामायण के समय में खरदूषण पर विजय प्राप्त कि उसे समय की है

श्री राम चंद्र कृपालु भजु मन महत्वपूर्ण जानकारी

श्री रामचंद्र जी को आज के समय में कौन नहीं जानता है पूरा संसार उनसे परिचित हैं भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में राजा दशरथ के महल में हुआ था

श्री रामचंद्र राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे इसके बाद लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न तीन पुत्रों ने जन्म लिया इस प्रकार भगवान राम सहित राजा दशरथ के चार पुत्र थे

तीन रानियां थी श्री रामचंद्र जी की माता का नाम कौशल्या था और श्री लक्ष्मण जी के माता का नाम सुमित्रा था और दो पुत्र भारत और शत्रुघ्न रानी केकई पुत्र थे सभी माताए अपने पुत्रों को बहुत प्यार से रखती थी

श्री राम चंद्र कृपालु भजु मन महत्वपूर्ण जानकारी

चारों पुत्र धीरे-धीरे बड़े हुए और श्री रामचंद्र जी का विवाह मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री सीता से हुआ लक्ष्मण जी का विवाह रानी उर्मिला से हुआ और शत्रुघ्न का विवाह श्रुतकीर्ति से हुआ

 भरत की पत्नी मांडवी थी विवाह के कुछ समय बाद रानी के केकई की दासी मंथरा के द्वारा भड़काने के बाद केकई कैकई ने राजा दशरथ से वचन लेकर भारत को राजा बनाने एवं राम को 14 साल का वनवास दे दिया

 भगवान राम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान रावण को मारा और लंका पर विजय प्राप्त की और अपना वनवास पूरा करके वापस अयोध्या लौटे जिसकी खुशी में दीपावली मनाई जाती है श्री रामचंद्र ने वनवास से लौट के बाद कई वर्षों तक अयोध्या पर राज्य किया

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